निशिकान्त मिस्त्री
जामताड़ा । जिले के नाला प्रखंड खैरा पंचायत के सालकुंडा गाँव में संवस्तसरी पर्व जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। आज जैन धर्म के अनुयायियों ने एक दूसरे से क्षमा मांगते है और पिछले पापो की आलोचना करते है तथा यह प्रण लेते है की हम किसी जीव का दिल नही दुखाएँगे ओर सभी जीवों को क्षमा दान देंगे। इसलिये यह क्षमा दिवस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिवस अहिंसा परमो धर्म के सिंद्धात पर चलता है। इस दिन सभी लोग उपवास, एकासना या कुछ न कुछ तप करते ही है। वैसे तो पर्युषण के आठो दिन सभी तप और साधना में लीन रहते है पर संवस्तसरी के दिन सभी अपनी अनुकूलता के अनुसार उपवास करते ही है।
आज जैन समाज को सबसे धनवान और मददगार समाज के रूप में देखा जाता है क्यौकि वो अहिंसा परमो धर्म मानते है। सालकुंडा के बालिका मंडल का कहना है की जेसे भगवान महावीर को 12 वर्ष का कठोर तापश्या के बाद मोक्ष मिला, भगवान श्री राम को 12वर्ष के वनवास के बाद अपना राज्य मिला वैसे ही अपने पाप कर्मो से मुक्ति पाना हो तो 12 महीने कुत्ते को रोटी, चीटी को गुड़ और मछली को आटा खिलाना चाहिए और जीवो से क्षमा मांगना तथा समस्त प्राणी जाति का रक्षा करना मनुष्य का कर्तव्य है।
इस पर्व मे मुंबई के गोरेगांव से महिलाओ को पूजा प्रतिक्रमन कराने प्रति बहन आये है और पुरुषो को चंद्रेश भाई और संजय भाई आये है। इसमें समस्त गांव वासी शामिल हुए।
सभी सालकुंडा वासी तथा सराक समाज की और सभी को मिच्छा मि दुक्कडं की कामना किये हैं।