निशिकांत मिस्त्री
जामताड़ा । बीते कल 30 जून को हूल दिवस पर सिदो कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह में ग्रामीणों और पुलिस के बीच विवाद हो गया था, मामला था सिद्धू कानू के वंशजों को उनके प्रतिमा पर पूजा अर्चना से रोका गया।।जिसे लेकर माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण हो गया. पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े. जिसके बाद भगदड़ मच गई. ग्रामीणों ने भी पुलिस पर पथराव भी किया. कुछ पुलिस कर्मियों के घायल होने की खबर मिली है। जिसके बाद पूरे इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। अब इस घटना को लेकर जामताड़ा भाजपा नेता हरिमोहन मिश्रा ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री रहते हुए आदिवासी पर जुल्म और अत्याचार हो रहा है। जब सिद्धू-कान्हू के वंशज ही सुरक्षित नहीं है तो आदिवासी समाज कैसे सुरक्षित रह सकता है। आदिवासी के उत्थान की बात करने वाले जे एम एम और कांग्रेस के नेता और मंत्री को सरकार से और वहां के प्रशासन से पूछना चाहिए किसके इशारे पर आदिवासी पर अत्याचार किया गया।
जेएमएम और कांग्रेस के नेता और मंत्री आज जिस सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर पूरे झारखंड में माला पहनाकर फोटो खिंचवा रहे हैं आज झारखंड सरकार के प्रशासन सरकार के इशारे पर उसी सिदो-कान्हू के वंशज को उनकी प्रतिमा पर पूजा पाठ करने से रोककर बच्चे बूढ़े महिला पर लाठी डंडों से प्रहार कर घायल कर दिया गया, अत्याचार किया गया मारपीट किया गया। झारखंड के मुख्यमंत्री जी से मैं मांग करता हू अगर आप आदिवासी समाज का हितैषी हैं तो अविलंब वहां के सभी प्रशासन को बर्खास्त करें। वहीं उन्होंने आगे कहा कि वैसे भी विधायक और मंत्री जो आदिवासी के हित के बात करते हैं वोट बैंक में इस्तेमाल करते हैं, वैसे विधायक और मंत्री को इस सरकार से इस्तीफा दे देना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी सिदधु-कान्हू के वंशज को और आदिवासी समाज को इंसाफ दिलाने के लिए हर तरह की लड़ाई लड़ेगी। जिन सिदधु-कान्हू ने देश की आजादी के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी आज उन्हीं के वंशजों के साथ हेमंत सोरेन की पुलिस प्रशासन किस तरह मार-पीट कर रही है इसका जीता जागता उदाहरण है। झारखंड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन जी और झारखंड के राज्यपाल महोदय से मैं मांग करता हूँ सिदधू-कान्हू जी के परिवार को न्याय दे और उनके परिवार के सभी सदस्यों को प्रतिमा सम्मान के साथ पूजा पाठ करवाए। सिदधू-कान्हू जी के परिवार पर अत्याचार करना राज्य के सभी आदिवासी समाज का अपमान है।
