निशिकांत मिस्त्री
जामताड़ा । जिले के गांधी मैदान स्थित सिद्धू कान्हू की प्रतिमा पर धूमधाम और पारंपरिक वाध यंत्रों के साथ हूल दिवस मनाया गया। वही इस दौरान जे एम एम, राजद व अन्य राजनीतिक दल व सामाजिक संगठनों जे द्वारा सिद्धू कान्हू की आदमकद प्रतिमा पर माला अर्पण कर श्रद्धांजलि दिया। इसके अलावे उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर दो महान वीरों को याद कर रहे हैं। इस मौके पर जे एम एम के जिला कोषाध्यक्ष परेश यादव ने कहा कि वीर आदिवासी महानायकों ने अंग्रेजों हुकूमत के खिलाफ जल जंगल जमीन की रक्षा की थी। जो हमलोगों के लिए आज सुरक्षित है। वही हूल दिवस पर अपने विचार प्रकट करते हुए जिला अध्यक्ष दिनेश यादव ने कहा कि हूल क्रांति दिवस प्रतिवर्ष 30 जून को मनाया जाता है। झारखंड राज्य के संथाल प्रेरणा में संथाल हुल और संथाल विद्रोह के द्वारा अंग्रेजों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। सिद्धू तथा कान्हू दो भाई के नेतृत्व में 30 जून 1855 को साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव से यह क्रांति की शुरुआत हुई थी। जिसमें दोनों भाइयो ने करो या मरो अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो का नारा दिया था। आज हम सब दो महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हुं। 1855 में जमींदार महाजन और अंग्रेज कर्मचारियों के अन्य अत्याचार के खिलाफ संथाल की जनता ने एकबद्ध होकर उनके विरोध विद्रोह का बिगुल भूखा था इससे संथाल विद्रोह या संथाल हूल कहते हैं।
