निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । अमर शहीद डी एस पी प्रमोद कुमार की 17 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। प्रमोद कुमार के पैतृक आवास मिहिजाम कुर्मिपाड़ा में पूजा पाठ कर प्रतिमा पर फूलमाला पहनाकर उनकी पुण्यतिथि परिजनों के द्वारा सादगी से मनाई। वहीं डाकबंगला स्थित प्रमोद कुमार के प्रतिमा स्थल पर स्थानीय लोगों द्वारा उनकी पुण्यतिथि मनाई। लेकिन आश्चर्यजनक बात तो यह है कि जो पुलिस अधिकारी देश और राज्य के लिए अपने आपको बलिदान दिया। उनके शहादत दिवस पर जिला स्तर से किसी भी अधिकारियों ने न सहानुभूति देने आये और न ही कोई श्रद्धांजलि अर्पित किया। उनके परिजनों की सुद्धि तक किसी ने नही लिया। बताते चलें कि प्रमोद कुमार झारखण्ड पुलिस सेवा के पदाधिकारी थे और 2008 में रांची जिला के बुंडू अनुमंडल में एस डी पी ओ के पद में पदस्थापित थे। जहां एक बड़े लूट कांड का उद्भेदन के लिये ताबड़तोड़ छापेमारी कर रहे थे। ताकि जल्द से जल्द लूट कांड के आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का उद्भेदन कर सके। जांच क्रम के दौरान 30 जून 2008 को हुल दिवस के दिन बुंडू के एक जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे। तभी सड़क के बीचों बीच नक्सलियों द्वारा बारुदी सुरंग बिछाकर रखे थे, उसी दौरान उनकी वाहन वहाँ से गुजरा और एक जोरदार विस्फ़ोट हुआ जिससे वाहन के परखच्चे उड़ गये और प्रमोद कुमार के साथ अन्य पुलिस बल शाहिद हो गये। आज युवाओं को गर्व होता है की उनके शहर में ऐसे वीर सपूत ने जन्म लिया जो अपने कार्यो से पीछे नहीं हटे और अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ताबड़तोड़ छापेमारी करते रहे। यहाँ के युवा ङी एस पी प्रमोद कुमार को अपने आदर्श मानते हैं और उनके जैसा कर्मठ, ईमानदार व कार्य के प्रति समर्पित पुलिस अधिकारी बनना चाहते हैं। वहीं प्रमोद कुमार को परिजन अपने बीच से खोकर बहुत ही दुःखी होते हैं। आँखों में आसूं बताते हैं दर्द आजतक भरा नही है। इसके वावजूद परिजनों को गर्व होता है। शहीद की भाभी मंजू देवी ने कहा की जीवन भर हमलोगों को दुःख रहेगा कि प्रमोद कुमार हमारे बीच नही है। लेकिन गर्व भी होता है की देश व राज्य के सेवा के लिए उन्होंने अपनी सर्वोच्च बलिदान दिया है। इस मौके पर डॉक्टर एल एन प्रसाद, शंकर प्रसाद, सबनम देवी, डॉक्टर मनीष कुमार, अनिमेष कुमार समेत अन्य लोग मौजूद थे।

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