रामावतार स्वर्णकार
इचाक । थाना क्षेत्र के मोकतमा गांव निवासी बीएसफ के सेवानिवृत अधिकारी बिजय प्रसाद सिंह (82)की पूना क़े एक हॉस्पिटल में गुरुवार को इलाज के दौरान मौत हो गई. वे पूना क़े देववाड़ा में अपने पुत्र क़े पास गए थे. जहाँ उनकी स्वास्थ्य बिगड़ गई थी. पुत्र सुधांशु कुमार सिंह ने बताया की वे लम्बे समय से चिकनगुनिया से पीड़ित थे. शुक्रवार को उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव मोकतमा लाया गया. इस दौरान बीएसफ क़े अधिकारी और जवान भी पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजली दी. और पुरे सैनिक सम्मान क़े साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. मुखागनी पुत्र सुधांशु कुमार सिंह ने दिया. बीएसफ अधिकारी बिजय प्रसाद सिंह उर्फ़ बीपी सिंह का देश सेवा में अहम् योगदान रहा. बीएसफ क़े 87 बटालियन में उनकी नियुक्ति वर्ष 1968 में सिपाही क़े पद पर बीएसफ के मेरु कैंप में हुई थी. जिसके बाद उनकी काबिलियत पर उन्हें लगातार प्रोन्नती मिलती गई. उन्होने बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय, राजस्थान, पंजाब और कश्मीर क़े बॉर्डर एरिया की रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

वर्ष 1971 में बांग्लादेश क़े युद्ध में भी उन्होने दुश्मनों क़े छक्के छुड़ाए थे. वहीं पाकिस्तान बॉर्डर पर भी उनका योगदान सराहनीय रहा. वर्ष 1994 में कश्मीर में ड्यूटी क़े दौरान हुए एक हादसे में वे बुरी तरह से झुलस गए. उनके शरीर का 55 फीसदी हिस्सा जल गया था . बीपी सिंह क़े परिवार में उनकी पत्नी सुनीता रानी सिंह, पुत्र सुधांशु और पुत्र बधु है. उनकी दो बेटियां निकिता और विनीता अब इस दुनिया में नहीं है. बीपी सिंह हंसमुख मिजाज क़े व्यक्ति थे. जहाँ भी बैठते, लोगों को खूब हँसाते थे. सेवा निवृत पारा मिलिट्री एसोसिएशन क़े अध्यक्ष एच के पाठक ने कहा कि उनके आसामयिक निधन से समाज को एक अपूरणीय क्षति हुई है.
उनके शव यात्रा में पूर्व आर्मी अधिकारी अजित कुमार सिंह, सुरेश ठाकुर, रणविजय सिंह, भगवान सिंह, विपिन कुमार सिंह, रंजीत कुमार सिंह, राघव सिंह, राहुल सिंह, अशोक सिंह, नवल किशोर सिंह, सरजू महतो, अरुण प्रसाद समेत भारी संख्या में ग्रामीण और बीएसफ क़े पूर्व सैनिक शामिल हुए.

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