रामावतार स्वर्णकार
इचाक । हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर और इचाक प्रखंड मुख्यालय से 11 किमी दूर एनएच-33 रांची पटना मार्ग पर इचाक थाना क्षेत्र में स्थित है नेशनल पार्क। यह सिर्फ हजारीबाग ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा आश्रयणी के अंदर कई चीजें देखने लायक है। जिस कारण सैलानियों को हर वर्ष नेशनल पार्क निहारने का इंतजार रहता है। लगभग 186 वर्ग किलोमीटर जंगली भूभाग पर फैले हजारीबाग वन्य जीव प्राणी आश्रयणी को वर्ष 1954 मे भारत सरकार ने नेशनल पार्क के रूप में विकसित किया था। तब यह पार्क अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरी दुनियां मे प्रसिद्ध था। देश विदेश के सैलानी यहां की प्राकृतिक छटा को निहारने व जंगली जीव जंतु को देखने सालों भर आते रहते थे। लेकिन बाद में सरकारी उदासीनता के कारण नेशनल पार्क अपना अस्तित्व अस्तित्व खोता गया। और वर्ष 2002 मे नेशनल पार्क का दर्ज़ा को घटाकर हजारीबाग वन्य जीव आश्रयणी प्रक्षेत्र का दर्जा दिया गया। आश्रयणी मे आज भी जंगली जानवर हिरण, चीतल, सांभर, बंदर, भालू , नीलगाय समेत अन्य जंगली जीव जंतु व अनेक प्रकार की पक्षियां को देखा जा सकता है। दिसम्बर महीने से मार्च तक आज भी झारखंड के अलावा बंगाल एवं बिहार राज्य के पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने आते हैं। यहां पर्यटक मित्र है जो यहां आने वाले हर सैलानियों की सेवा में लगे रहते हैं। वन विभाग के द्वारा इस वर्ष रजडेरवा में सोलर प्लांट लगाया गया है जिस कारण लाइट की अब समस्या नहीं है। रात मे भी पर्यटक रहकर आनंद उठा सकते हैं।
आश्रयणी क्षेत्र में पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं
आश्रयणी का मनोरम स्थल है राजडेरवा। यह क्षेत्र प्रकृति की गोद में बसा है। यहां पहुंचने के लिए नेशनल पार्क मुख्य द्वार से सैलानियों को 10 किमी कच्ची सड़क पश्चिम की ओर घने जंगल से जाना पड़ता है। यहां झील, म्यूजियम, अतिथि गृह के अलावा कैंटीन की सुविधा है। पर्यटकों को ठहरने के लिए काटेज की व्यवस्था है। यहां झील है जहां पर्यटक चार वोट के जरिए नौका बिहार का आंनद ले सकते है। आश्रयणी क्षेत्र के अंदर विभिन्न स्थानों पर 11 वाच टावर बने हैं जहां से पर्यटक वन के सुंदर दृश्य को दूर दूर तक निहारते हैं। यहां अधिकारियों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस, पर्यटकों को ठहरने के लिए पांच काटेज, सिंगल बेड के लाज एवं छह बेड का एक डोमेट्री है। यहां ठहरने वाले पर्यटकों को खुद से राशन देना पड़ता है, खलसामा उन्हे भोजन पकाकर खिलाता है। अन्य लोग आश्रयणी का भ्रमण कराने मे पर्यटकों का सहयोग करते हैं।
54 हेक्टेयर भूमि पर बना है केज
आश्रयणी के अंदर 54 हेक्टेयर भूमि पर केज बना हुआ है एवं 10 हेक्टेयर भूमि पर एक और नया केज बनाया जा रहा है। केज के अंदर हिरण, चीतल, सांभर, कोटरा, नीलगाय समेत 60-65 प्रकार के जीव जंतु विचरण करते देखे जा सकते हैं हैं। यहां बंदरों की संख्या अधिक है, जबकि केज के बाहर खुले जंगल में भी हिरण, चीतल, सांभर को छोड़ा गया है। आश्रयणी मे भालू व सूअर भी विचरण करते नजर आते है, यदा कदा तेंदुआ व लकड़बग्घा भी देखने को मिलता है।
टाइगर ट्रेप _ मुख्य द्वार से करीब तीन किमी की दूरी पर है टाइगर ट्रेप। बताया जाता है कि इस ट्रेप की सहायता से पदमा के राजा बाघ व तेंदुआ पकड़ते थे, और दूसरे राजा को उपहार स्वरूप बाघ भेंट करते थे। टाइगर ट्रेप जमीन खोदकर बनाया गया है। इसकी गहराई 40 फीट एवं परिधि 40 फीट है। ट्रेप मे जाने के लिए 60 फीट का लंबा सुरंग बना हुआ है। गड्ढे के बीच शंकु आकार का एक पिलर है, जिसपर बाघों को प्रलोभन देने के लिए बकरी बांधा जाता था। बकरी के मिमियाने की आवाज को सुनकर बाघ व चीता उसके शिकार करने आता था । छलांग लगाने के दौरान दूरी अधिक होने के कारण बाघ नीचे गढढे मे गिर जाता था एवं जाल ने फस जाता था।
बाघमारा डैम-आश्रयणी के अंदर कई तालाब व चेकडैम हैं। पर बाघमारा चेकडैम का सौंदर्य ही अलग है। डैम का पानी को देख पर्यटक अचंभित होते हैं और सकून महसूस करते हैं। तैरती जंगली पक्षियां एवं छलांग लगाते बन्दर को देख लुफ्त उठाते हैं। बांध के नीचे की चट्टान एवं नीचे गिरता पानी का झरना को देख पर्यटक रोमांचित होते हैं।
कैसे पहुंचें हजारीबाग नेशनल पार्क
हजारीबाग जिला मुख्यालय से बरही जाने वाले वाहन अथवा बरही से हजारीबाग आने वाले वाहन से नेशनल पार्क मुख्य द्वार तक पहुंचा जा सकता है। नेशनल पार्क का मुख्य द्वार हजारीबाग से 17 किमी जबकि बरही से 18 किमी दूर है। यहां निजी वाहन से आना ज्यादा हितकर है।
समस्या
सुरक्षा एवं सुविधाओं का अभाव
आश्रयणी क्षेत्र में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं मोबाईल का नेटवर्क भी नहीं पकड़ता है। जिस कारण पर्यटक यहां रात को ठहरने मे कतराते हैं। मुख्य द्वार से रजडेरवा पिकनिक स्पॉट की दूरी 10 किमी है। जहां जाने आने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं है। पर्यटक अपने निजी वाहन से ही आ जा सकते हैं। यहां शुद्ध पेयजल की भी बड़ी समस्या है। इन कमियों को दूर करने पर नेशनल पार्क पुनः अस्तित्व में लौट सकता है ।