निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का नॉमिनेशन शुरू हो चुका है। वही पुराने मामले भी उखड़ कर सामने आने लगे हैं। जिसका नतीजा है कि विरोध प्रदर्शन और वोट बहिष्कार की घोषणा भी होने लगी है। ऐसा ही मामला नारायणपुर प्रखंड के डोकीडीह गांव के दलित समाज में देखने को मिला। नारायणपुर प्रखंड के डोकीडीह गांव के दलित समाज के लोगों ने वोट बहिष्कार का घोषणा कर प्रदर्शन किया। जिसमें काफी संख्या में महिला और पुरुष शामिल थे। इसके पीछे वजह यह है कि बीते वर्ष 2023 में सरस्वती पूजा की मूर्ति विसर्जन के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा मूर्ति ले जाने से रोक दिया गया था। समझाने पर प्रशासन एवं भीड़ पर लाठी, डंडे से हमला और पथराव किए थे। जान बचाने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी थी। मामला काफी बिगड़ गया था।

जिसमें नारायणपुर बीडीओ, सर्किल इंस्पेक्टर, थाना प्रभारी सहित कई पुलिसकर्मी जख्मी भी हुए थे। उस समय प्रशासन की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में प्रशासनिक बैठक के बाद मामला शांत हुआ। लेकिन अचानक पिछले महीने गांव के 19 व्यक्तियों के विरुद्ध नोटिस आ गया और लोगों को पता चला कि उनके विरुद्ध सरस्वती पूजा विसर्जन के दौरान कोई घटना को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने मामला दायर किया है। ग्रामीणों ने बताया कि मुकदमे में कुल 21 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। जिसमें से दो नाम नारायणपुर थाना प्रभारी और नारायणपुर बीडीओ का हटा दिया गया है। वही गांव के 19 लोगों का नाम मुकदमा में शामिल है। इसी के विरोध में डोकीडीह गांव के महिला और पुरुषों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया और वोट बहिष्कार की घोषणा कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब 2023 में ही मुकदमा दर्ज किया गया था तो इतने दिनों तक मामले को दबा कर रखने की क्या जरूरत थी। चुनाव के समय ही क्यों नोटिस जारी किया गया है। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने और इंसाफ दिलाने की मांग की है।

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