धनबाद । कोयलांचल में अनंत चतुर्दशी की पूजा गुरुवार को पूरे धूमधाम से खड़ेश्वरी मंदिर में मनाई गई। अनंत चतुर्दशी में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की गई। पंडित राकेश ने मीडिया को बताया कि जब भूलोक पर पाप चरम सीमा पर पहुंच चुका था। उसी समय समुद्र मंथन किया गया। उसमें भगवान विष्णु अनंत भगवान का रूप लेकर निकले।

उन्होंने कहा कि भगवान अनंत की पूजा अर्चना करने से पाप से मुक्ति मिल जाती है। भक्तों को मनचाहा फल की प्राप्ति होती है।भगवान विष्णु पूजा विधि : अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद साफ व पीले रंग के वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद कलश स्थापना करें और उसमें अष्टदल कमल रखें। भगवान की प्रतिमा या तस्वीर पर केसर, कुमकुम, हल्दी, फूल, अक्षत, फल और भोग आदि अर्पित करें।

इसके बाद एक कच्ची डोरी लेकर उसमें चौदह गांठ लगाएं और इसे भगवान श्री हरि को अर्पित करें। इस दौरान ऊँ अनंताय नमः मंत्र का जाप करें। फिर इसे अपनी कलाई पर बांधे।

मान्यता है कि इस रक्षा सूत्र को धारण करने से आरोग्य का वरदान मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करें। अब आटे की रोटियां या फिर पूड़ी बनाकर प्रसाद के रूप में बांटें।

अनंत चतुर्दशी का महत्व : अनन्त चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इस दिन साधक उपवास रखते हैं और पूजा के दौरान पवित्र धागा बांधते हैं।

जिसमें चौदह गांठ लगाई जाती हैं और भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस रक्षा सूत्र को अपनी कलाई पर धारण करने से स्वयं भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

साथ ही यह भी माना जाता है कि अनन्त चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना और उपवास करने से साधक को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

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