मानवाधिकार मनुष्य को जन्म से मिलने वाले अधिकार,
राष्ट्रीयता, भाषा, लिंग, नस्ल,जाति, धर्म नही आते इसके आड़े : शंभु कुमार
रामावतार स्वर्णकार
इचाक । जीएम संध्याकालीन महाविद्यालय में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के सचिव शंभु कुमार ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकारों की पहली वैश्विक घोषणा और नए संयुक्त राष्ट्र की पहली प्रमुख उपलब्धियों में से एक मानवाअधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 10 दिसंबर 1948 ई. को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए तिथि का चयन किया गया था।
मानवाधिकार दिवस की औपचारिक स्थापना 4 दिसंबर 1950 ई. को महासभा की 317वीं पूर्ण बैठक में हुई। उन्होनें कहा कि वैश्विक स्तर पर मानव अधिकारों के लिए चेतना जागृत करने में इस घोषणा का महत्वपूर्ण योगदान है। हर साल 10 दिसंबर के दिन दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के तौर पर मनाया जाता है।महाविद्यालय प्रभारी पंकज कुमार ने कहा कि मानवाधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं, जिनसे मनुष्य को नस्ल,जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग,आदि के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता है।
कार्यक्रम में सभी शिक्षकों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए और कहा कि मानवाधिकार दिवस मनाने का मकसद लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा का अधिकार शामिल है। मानव अधिकार इंसान को जन्म से ही प्राप्त है। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक अजय उरांव ने किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक रत्नेश कुमार राणा, दीपक प्रसाद,रियाज अहमद, अजीत हंसदा, आशीष पांडे,संगम कुमारी, गायत्री शर्मा, विनोद कुमार मेहता, राजकुमार,कृष्ण कुमार मेहता,प्रिया कुमारी, सुनीता टोप्पो, संजय प्रजापति का सराहणीय योगदान रहा।