इलाज में नहीं काम आया आयुषमान कार्ड सरकार ने भी नही की मदद
रामावतार स्वर्णकार
इचाक । थाना क्षेत्र के मंगुरा गांव निवासी मो. सलामत (40) पिता नवीज मियां की मौत कैंसर जैसे घातक बीमारी से हो गई। वह पिछले एक साल से जबड़े के कैंसर से पीड़ित था। और कोलकाता और टाटा के बाद रांची स्थित अपोलो हॉस्पिटल में अपना ईलाज करवा रहा था। गरीबी की जिंदगी में केंसर जैसे भयानक बीमारी के खर्च ने परिजनों की कमर तोड़ दी थी। मजबूरन उसे दो माह पहले एपोलो हॉस्पिटल से घर लाया गया था। गुरुवार की शाम अचानक तबियत बिगड़ी और शाम 7 बजे उसकी मौत हो गई। शुक्रवार को मंगुरा स्थित कब्रिस्तान में दफन किया गया।
पड़ोस में रहने वाले इंकलाबी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष मो. तालीम ने बताया कि मो.सलामत घर का इकलौता कमाऊ सदस्य था। और कोलकाता के एल्यूमीनियम फैक्ट्री में मजदूरी कर के अपने मां पिता और बीबी तथा चार बच्चों का परवरिश करता था। कोरोना काल में फैक्ट्री बंद हो जानें से घर की आर्थिक स्थिति चरमरा गई थी। उपर से केंसर जैसे गम्भीर बिमारी ने घर की आर्थिक स्थिति को और खराब कर दिया।
नही आया काम आयुष्मान कार्ड और मुख्य मंत्री राहत कोष
दिवंगत मो. सलामत की पत्नी रिजवाना खातून ने गरीबों के कल्याण के लिए बने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत कार्ड और मुख्यमंत्री राहत कोष को छलावा बताया। कहा कि मेरे पति की केंसर जैसे गम्भीर बीमारी के इलाज में आयुषमान कार्ड कोई काम का साबित नहीं हुआ। वहीं इलाज में मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से भी मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई काम का साबित नहीं हुआ। यह सभी योजना गरीबों को ठगने के लिए बनाए गए हैं। मेरा घर जमीन सब खत्म हो गया। अब मैं कहां जाऊं?
