निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । आज जनजातीय संध्या डिग्री महाविद्यालय मिहिजाम में इतिहास विभाग द्वारा गुप्तकाल का स्वर्णयुग विषय पर विभागीय संगोष्ठी का आयोजन प्राचार्य प्रोo कृष्ण मोहन साह की अध्यक्षता में की गयी। इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता जामताड़ा कॉलेज के इतिहास विषय के विभागाध्यक्ष डॉ मोo रिजवान ने गुप्तकाल के स्वर्णयुग का विश्लेषण करते हुए बतलाया कि उस समय शून्य एवं दशमलव आविष्कार पर आज शोध की आवश्यकता है। अपने ओजस्वी वक्तव्य में आर्य भट्ट , कालिदास का जिक्र करते हुए इतिहास के वास्तविक अर्थ को बहुत ही व्यापक रूप से समझाया कि इतिहास का अर्थ केवल बीती हुई कहानी या गड़े मुर्दे को उखाड़ना नहीं है। इतिहास को पढ़कर भूत से वर्तमान का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास एवं गणित में भी गहरा संबंध है। रामायण तथा महाभारत के अध्ययन से इस बात की पुष्टि सहज होती है। मंच संचालन इतिहास विभाग की प्राध्यापिका प्रोo अमिता सिंह ने स्वर्ण युग के साथ गुप्तकाल की प्रमुख रचनाएँ, साहित्य और ज्ञान, कल और वास्तुकला , सामाजिक और आर्थिक विकास, व्यापार, मुद्रा, धार्मिक सहिष्णुता जैसे बिंदुओं पर प्रकाश डाला। इस विषय पर छात्राएं सेबी खातून, रिमसा खातून, एवं रिंकी कुमारी ने अपने भाषण से सबों को मंत्र मुग्ध कर दिया।महाविद्यालय इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोo अरविंद कुनार सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बताया कि गुप्तकाल को कुछ लेखकों ने स्वर्णयुग का नाम दिया है लेकिन उसे अन्य राजवंशों से तुलना करने की जरूरत है। प्राचार्य ने मुख्य वक्ता डॉo रिजवान को प्रशंसा पत्र सौंपते हुए भविष्य ऐसे ही सक्रीय सहयोग की उनसे उम्मीद जताई।मौके पर आई क्यू ए सी कॉर्डिनेटर डॉo सोमेन सरकार, नेक कॉर्डिनेटर डॉ राकेश रंजन, शंभू सिंह, बी पी गुप्ता, दिनेश किस्कू, बी एन प्रसाद, जयश्री, पुष्पा टोप्पो, पूनम कुमारी, डॉo के के बरनवाल, शबनम खातून, देवकी पंजियारा, उपेंद्र पाण्डेय, रेखा कुमारी, संतोषनी सोरेन, राज कुमार मिस्त्री, अभिजीत सिंह ख़रतौल, दिनेश रजक तथा काफी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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