निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी ने आज जामताड़ा में उत्साह और श्रद्धा के साथ सरहुल पर्व मनाया। इस अवसर पर उन्होंने झारखंड सहित पूरे जामताड़ा वासियों को सरहुल की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सरहुल केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति और जीवन के बीच संतुलन का प्रतीक है। यह उत्सव हमें यह सिखाता है कि मानव जीवन का अस्तित्व प्रकृति के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है और इसे संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरहुल न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करता है। सरहुल झारखंड का एक प्रमुख पर्व है, जिसे आदिवासी समाज बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाता है।

यह त्योहार प्रकृति, पर्यावरण और वन्य जीवन से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। सरहुल का शाब्दिक अर्थ ‘वृक्षों की पूजा’ है, और इसे वसंत ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है, जब प्रकृति अपनी संपूर्ण हरियाली और सुंदरता के साथ खिल उठती है। यह पर्व न केवल आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि उनकी आस्था, परंपराओं और प्रकृति के प्रति अटूट प्रेम को भी दर्शाता है। सरहुल के माध्यम से लोग प्रकृति के महत्व को स्वीकारते हुए इसके संरक्षण का संकल्प लेते हैं, जिससे यह त्योहार समाज और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध का परिचायक बन जाता है। उन्होंने आगे कहा कि झारखंड सहित पूरे देश में सरहुल का उत्साह और उमंग हर वर्ष बढ़ रही है। यह पर्व हमारी परंपराओं को संजोए रखने और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है।
सरहुल उत्सव के दौरान स्थानीय लोगों ने पारंपरिक नृत्य और गीत प्रस्तुत किए, जिससे पूरे वातावरण में उल्लास और भक्ति का माहौल बना रहा। मंत्री जी ने भी स्थानीय लोगों के साथ इस पर्व की खुशियों में सहभागिता की और समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया।

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