झरिया। श्री राणीसती मंदिर लक्ष्मनीया मोड़ में राजस्थानी त्यौहार गणगौर पूजा सुबह में किया गया । शाम में भजन कीर्तन के बाद दादी जी का सिंधारा बनाया गया पूजा पंडित पवन चौबे द्वारा किया गया, गणगौर तीज का महत्व है ।
गन का अर्थ होता है शिव और गौर का अर्थ होता है गौरी ।
इस दिन माता गौरी और भगवान शिव जी की पूजा की जाती है ।

महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है अगर अविवाहित महिला इस व्रत रखती है तो उसे मनचाहा फल का प्राप्ति होता है। गणगौर की पूजा में सुहाग की वस्तुएं चढ़ाई जाती है एवं सुहाग की सामग्री का पूजन कर यह वस्तु गोरी जी को अर्पित की जाती है इसके बाद गौरी जी को भोग लगाया जाता है और श्री गौरी जी की कथा सुनी जाती है ।
श्री रानी सती सेवा समिति एवं श्री रानी सती महिला समिति का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ । इस कार्यक्रम में रानी सती महिला समिति सक्रिय रही ।

  1. म्हाने चुनरी लाल मंगा दो मां……
  2. घूमर थान पगलारि घूंघरारी मंगा दो माँ…..
  3. मुखड़ा मै बेसर सुहाए तो मोतीडा जड़ाव का रे…..
  4. एक बार आओ जवाई सा पावना……..

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