रामावतार स्वर्णकार
रांची/ हजारीबाग । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छः उत्सवों में से एक शस्त्र पूजन कार्यक्रम इचाक के छोटा अखाड़ा के पीछे सरस्वती विद्या मंदिर स्थित संघ कार्यालय और डुमरोन् के देवी मंडप में रविवार को धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम क़े प्रारम्भ में पवित्र भगवा ध्वज रोहण किया गया. तत्पश्चात माँ भारती क़े चरणों में पुष्प दीप अर्पित कर उन्हें सामूहिक नमन किया गया. तत्पश्चात विधिवत शस्त्र पूजन किया गया. विद्या मंदिर में बौद्धिककर्ता, हजारीबाग विभाग के विभाग प्रचारक आशुतोष जी ने कहा कि शक्ति की उपासना आवश्यक है। धरती का सुख वही भोग सकता है जो शक्तिशाली हो. इसलिए हम सभी को आर्थिक रूप से सामाजिक रूप से शैक्षणिक रूप से शक्तिशाली बनना चाहिए। हम सभी को संघ की शाखा में आनी चाहिए इससे समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर किया जा सकता है।
वहीं डुमरोन के देवी मंडप के बौद्धिकर्ता इचाक खंड के खंड कार्यवाह रंजीत जी ने कहा कि संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है। भारत को परम वैभव के शिखर तक ले जाना ही संघ का लक्ष्य है। हम सभी को शस्त्र और शास्त्र दोनो का ज्ञान होना होना चाहिए। इस अवसर पर जिला के सह बौद्धिक प्रमुख संदीप जी एवं सहधर्म जागरण प्रमुख श्रीमान ब्रह्मदेव जी सहित अन्य स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

राँची ६ अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, राँची महानगर में श्री विजयादशमी उत्सव का आयोजन किया गया। यह उत्सव संघ की स्थापना के ९९वें वर्ष के अवसर पर मनाया गया, जिसकी शुरुआत १९२५ में डा. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। इस अवसर पर, १००० से अधिक स्वयंसेवकों ने ५ किमी के पथ संचलन में भाग लिया, जो शास्त्री मैदान से शुरू होकर ऑक्सफोर्ड स्कूल, बहुबजार चौक, श्रीराम मंदिर, और शिशु मंदिर होते हुए शास्त्री मैदान में संपन्न हुआ। पथ के संचलन के मार्ग में विभिन्न स्थानो पर लोगो द्वारा पुष्प वृष्टि कर पथ संचलन में लगे स्वयंसेवकों का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों की उपस्थिति ५०० से अधिक रही, जिसमें मातृशक्ति की उपस्थिति विशेष रूप से प्रेरणादायक रही।

मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) रमन कुमार झा, कुलपति, इक्फ़ाई विश्वविद्यालय ने संघ की अनुशासनप्रियता की प्रशंसा की और कहा कि ऐसी अनुशासनप्रियता उन्होंने अपने सैनिक स्कूल के बाद आज इस कार्यक्रम में देखी। मुखवक्ता श्रीमान गोपाल जी, झारखंड प्रांत के प्रांत प्रचारक ने कहा कि संघ पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, संघ के स्वयंसेवकों ने दुगनी गति से राष्ट्र कार्य और राष्ट्र जागरण में काम किया है। उन्होंने आगे कहा कि संघ के प्रयासों का परिणाम धारा ३७० के रूप में जम्मू-कश्मीर में देखा जा सकता है, जहां संघ ने १९६० के दशक में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र बनाया था। पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने के प्रयासों के बावजूद, संघ के प्रचारकों के अथक परिश्रम से वहां की स्थिति बदली है।

उन्होंने पंच प्राण पर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें शामिल हैं:

  • पर्यावरण: पर्यावरण संरक्षण।
  • कुटुंब प्रबोधन (परिवार प्रबोधन)
  • नागरिक कर्तव्य
  • सामाजिक समरसता
  • स्व-बोध (स्वदेशी)

उन्होंने कहा कि आज के दिन हम शस्त्र की पूजन का शक्ति की उपासना करते हैं ताकि सज्जन शक्तियों को जागृत कर समाज में बदलाव लाया जा सके। लेकिन हमें शस्त्र के शास्त्र पर भी ध्यान देना होगा, हमें बल के साथ विवेक पूर्ण ज्ञान भी चाहिए। संघ शताब्दी कार्यक्रम में कोई विशेष कार्यक्रम नहीं करेगा , केवल एक ही काम करेगा हर बस्ती शाखा युक्त हो। आज के कार्यक्रम में श्री देव व्रत पाहन( क्षेत्र संघचालक), सह प्रांत कार्यवाह धनंजय सिंह, विभाग संघचालक विवेक भासीन, महानगर संघचालक पवन मंत्री सहित संघ एवं अनुसांगिक संगठनों के अनेक अधिकारी उपस्थित रहे।

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