लालटू मिठारी
बलियापुर। आरएसपी कॉलेज झरिया के बीएड विभाग मे एक दिवसीय परिसंवाद सह बीएड प्रशिक्षुओं के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया. परिसंवाद का विषय “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं भारतीय ज्ञान परम्परा” था. कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप मे आई आई टी (आई एस एम) के उप निर्देशक प्रो. धीरज कुमार, विशिष्ट अतिथि के रूप मे आर. एस. पी. कॉलेज झरिया के पूर्व प्राचार्य डॉ. जेएन सिंह एवं एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय, धनबाद की प्राचार्य डॉ शर्मीला रानी जबकि परिसंवाद के मुख्य पहलुओं पर चर्चा करने के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रो. आनंद वर्धन एवं महात्मा गाँधी सेंट्रल विश्वविद्यालय, मोतिहारी के शिक्षा संकायध्यक्ष प्रो आशीष श्रीवास्तव बतौर आमंत्रित वक्ता सम्मिलित हुए. बतौर मुख्य अतिथि प्रो. धीरज कुमार ने बीएड संकाय के प्रशिक्षुओं को सम्बोधन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परम्परा पर केंद्रित वर्तमान एवं भविष्य के भारत के शिक्षा पर महत्वपूर्ण दस्तावेज है. सबसे जरुरी है इसके सफलतापूर्ण किर्यान्वयन को बाधित करने वाले चुनौतियोँ की समाधान कर उचित दिशा मे कदम उठाना. विशिष्ट अतिथि डॉ जेएन सिंह ने कहा कि भारत हमेशा से ज्ञान विज्ञान की एक उर्वर भूमि रही है. ऐतिहासिक कारणों से हम अपने ज्ञान के विरासत को पश्चिम दुनिया की तरह विकसित नहीं कर पाए. यह सही वक्त है कि अब भारतीय ज्ञान की समृद्ध विरासत को विकसित वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के साथ समायोजन हो. बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ शर्मीला रानी ने बीएड प्रशिक्षुओं को उनकी उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान एवं संस्कृति का संरक्षण भावी शिक्षकों समर्पण एवं योगदान के बिना संभव नहीं है.स्थानीय भाषा के विकास एवं संवर्धन के लिए व्यापक नीति बनाने की आवश्यकता है.
प्रो आनंद वर्धन ने भारतीय ज्ञान के ऐतिहासिक विकास की विस्तार से चर्चा किया एवं बताया की भारत ज्ञान एवं विज्ञान की जननी है. गणित, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, ज्यामिति, खगोल विज्ञान, आयुर्वेद, साहित्य आदि महत्पूर्ण ज्ञान विज्ञान के शाखाओं का मुल श्रोत भारतीय प्राचीन शास्त्र एवं ग्रंथ है. आर्यभट्ट, वराहमिहिर, कौटिल्य, समुद्रगुप्त को भारतीय ज्ञान- विज्ञान के अग्रिम पुरखा थे. इन्होंने ने बताया की लौह विज्ञान के जनक पहाड़िया एवं असुर जनजाति समुदाय के लोग रहें है. इन्होंने ने ही धनुर विद्या का विकास किया. हमने अपने ज्ञान विज्ञान से जुड़े विरासतों पर ध्यान नहीं दिया. जबकि प्रो. आशीष श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 पर विस्तार से चर्चा किया और बताया की यह शिक्षा नीति 21 सदी के भारत के नवनिर्माण से जुड़ी महत्वपूर्ण दस्तावेज है. अभी इसके लागु करने के समक्ष कई बधाएँ है।
कार्यक्रम का संचालन प्रो रितेश रंजन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो रामचंद्र कुमार ने किया, स्वागत भाषण आर. एस. पी. कॉलेज झरिया के प्राचार्य डॉ निलेश कुमार सिंह ने किया और कहा कि यह महाविद्यालय हमेशा से शैक्षणिक कार्यक्रमों के आयोजन कर समाज के ज्वलंत मुद्दों जागरूकता उत्पन्न करने एवं आदर्श शैक्षिक वातावरण निर्मित करने के लिए कृतसंकल्पीत रहा है. किसी भी देश की उन्नति एवं अवनती शिक्षा पर निर्भर करती है। डॉ उपेंद्र कुमार ने परिचय भाषण दिया. ज्ञात हो कि इसी कार्यक्रम मे सत्र 2023-25 के प्रशिक्षुओं की औपचारिक स्वागत एवं सत्र 2021-23 के प्रशिक्षुओं की औपचारिक विदाई दी गई।