निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । जिले के विभिन्न जल स्त्रोतों में उदयमान भगवान भाष्कर को अर्ध्य दिया गया। भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ के पर्व का चौथा और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना होता है. तीसरा दिन संध्या अर्घ्य होता है और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है। यह पूजा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी ऊषा को समर्पित होती है। सुबह होते ही छठ घाट पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख शांति के लिए भगवान भास्कर से प्रार्थना की। दूसरी अर्थ देते ही 36 घंटे का निर्जला उपवास के साथ साथ छठ पूजा का समापन हो गया। छठ वर्तियों की सुहुलियत को देखते हुए छठ घाट पर सुरक्षा की पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

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