भगतडीह । रविवार को बस्ताकोला माइंस रेस्क्यू देवी स्थान के समीप ” बरहा ” पूजा का एक दिवसीय आयोजन किया गया. यूपी बिहार बंगाल झारखंड के राज्यों में दुसाद जाति, पासवान समाज में बरहा पूजा का खासा महत्व है. इस पूजा में अपने कुल गुरु बाबा चौहरमल की पूजा अर्चना करते है. मान्यता है कि बरहा पूजा समाज के कल्याण, क्षेत्र में शांति उन्नति, उज्जवल भविष्य के दिशा में एक पहल माना जाता है. मान्यता है कि

दुसाध जाति राहू पूजा करते हैं, राहू पूजा केवल बिहार में दुसाधो के यहाँ होती है। यह पूजा अपने कुल पुरुष की है जो इस वंश के आदि राजा थे। यह इस जाति की पुरानी पूजा है। राहू पूजा पासवान जाति के लिए एक शक्ति का प्रतीक है।

इनके कुल देवता ‘महराज चौहरमल’ माने जाते हैं, इस समाज की कुछ पूजा आज भी जीवंत है जैसे आग के अंगारों पर चलना, खौलते हुए दूध मे हाथ डालकर चलाना इत्यादि ।

“क्षत्रिय वंश प्रदीप” मे ‘दुसाध’ को क्षत्रियों कि एक शाखा माना गया है भाग एक के पृष्ठ 409 ग्यारह सौ क्षत्रियों की सूची मे दुसाध का 480 वां स्थान दिखाया गया है।
बास्ताकोला क्षेत्र के राइज झरिया बस्ती के रहने वाले छोटन पासवान ने अपने पुत्र के शादी के उपलक्ष में बरहा पूजा का आयोजन किया जहां बिहार बंगाल समय कई क्षेत्रों से आए लोगों ने इस पूजा में शामिल हुए । बरहा पूजा होने से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। मौके पर नन्हे पासवान, बिरजू पासवान, रामबाबू पासवान, दिनेश पासवान, रामखेलावन पासवान, गोरेलाल पासवान, नरेश पासवान, चंदन ब्यास, नागमणि देवी, समेत स्थानीय सैकड़ों महिला पुरुष शामिल थे।

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