रामावतार स्वर्णकार
इचाक । प्रखंड के इचाक मोड़ में यज्ञ समिति द्वारा आयोजित श्री श्री दुर्गा अष्टपरिवार प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में चित्रकूट धाम से पधारे सुविख्यात राष्ट्रीय प्रखर प्रवक्ता युवा महंत श्री श्री 108 स्वामी सीताराम शरण जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा आज के समय में हनुमान जी के राह पर चलने की जरूरत है।कलयुग में हनुमान जी की उपासना सबसे उत्तम फल प्रदान करने वाली है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं। भगवान श्री राम के कार्य सिद्ध करने वाले हनुमान जी साक्षात रुद्रावतार और संकट मोचन हैं। केसरी नंदन हनुमान जी अतुलित बल के प्रतीक हैं। उनका बल दूसरों के कार्यों को सिद्ध करने और दुखों को दूर करने में खर्च होता है।
यदि सच्चे मन से महाबली पवन पुत्र की आराधना की जाए तो वह अपने भक्त का हर मनोरथ पूर्ण कर देते हैं। राम भक्त श्री हनुमान जी अपने भक्तों की पीड़ा हरने वाले तथा श्री रामायण रूपी महामाला के महारत्न के रूप में माने जाते हैं। सेवक होने के साथ-साथ हनुमान जी प्रभु श्री राम व माता जानकी के सुत भी कहलाएं।
हनुमान जी का चरित्र एक जीवन दर्शन है जिसका चिंतन, मनन, श्रवण करने से लोक-परलोक सुधर जाता है। रामदूत हनुमान जी को शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार माना गया है और उनकी उपासना जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कुंजी है।
भगवान श्री राम बाल्य काल से ही सदाशिव की आराधना करते और भगवान शिव भी श्री राम को अपना परम उपास्य तथा ईष्ट देवता मानते हैं किन्तु साक्षात नारायण ने जब नर रूप धारण कर श्री राम के नाम से अवतार ग्रहण किया तो शंकर जी शिव रूप में नर रूप की कैसे आराधना कर सकते थे। इसीलिए राम की भक्ति के लिए शिव ने लिया रुद्रावतार हनुमान का अवतार। हनुमान वानरराज केसरी के यहां माता अंजनी के गर्भ से जन्मे।
हनुमान जी हिंदुओं के एकमात्र ऐसे देवता हैं कि जो सशरीर आज भी विद्यमान हैं। आज संसार में जहां भी राम कथा होती है वहां पवन पुत्र रुद्रावतार हनुमान जी सशरीर उपस्थित रहते हैं। यह अटल सत्य है। हनुमान जी उन्हीं पर कृपा बरसाते हैं जिनका हृदय शुद्ध तथा विचार नेक हों।
‘कुमति निवार सुमति के संगी’
