रामावतार स्वर्णकार
इचाक । समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाली देश की प्रथम महिला शिक्षिका, महान समाज सेविका एवं नारी मुक्ति आंदोलन के प्रणेता सावित्री बाई फुले की 192वीं जयंती प्रखंड के जगरनाथ महतो इंटर कॉलेज, उरूका में एक सादे समारोह में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य बसंत कुमार तथा संचालन प्रोफेसर राजेंद्र यादव ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य बसंत कुमार ने कहा कि- सावित्रीबाई फुले उस दौर में कैसे स्त्रियों के अधिकारों, अशिक्षा, छूआ-छूत, सती प्रथा, बाल या विधवा विवाह जैसी कुरीतियों पर आवाज उठाई होगी यह चिंतन करने की बात है।
वही कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रो.राजेंद्र यादव ने कहा कि सावित्रीबाई फुले कहा करती थी कि-“स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो,पाठशाला ही इंसानों का सच्चा गहना है।”कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षक प्रतिनिधि प्रो.विजय कुमार दास ने कहा कि जिस तरह 1848 में लाख विरोध का सामना करने के बाद भी उन्होंने देश में पहला महिला विद्यालय स्थापित करने में सफलता पाकर बहुत कुछ बता गई। कार्यक्रम को प्रोफ़ेसर राम प्रकाश मेहता, प्रोफ़ेसर उमेश कुमार, प्रोफ़ेसर प्रदीप कुमार, प्रोफ़ेसर प्रेमचंद कुमार पंत ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में प्रदीप कुमार ,जयप्रकाश कुमार, सुरेंद्र मिश्र ,भुनेश्वर प्रसाद मेहता, संतोष कुमार ,पूनम कुमारी ,शंभू कुमार,के अलावे महाविद्यालय के छात्र छात्रा ने भी भाग लिया जिसमें निशांत कुमार ,रविंद्र कुमार, सोनी कुमारी ,काजल कुमारी ,पीहू कुमारी, विशाखा, उपासना आदि ने भी भाग लिया।
इधर अलौंजा स्थित एसएमएस कोचिंग संस्थान में भी देश की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का नेत्रित्व कर रहे संस्थान के निदेशक सुबोध कुमार दास ने सावित्री बाई फुले के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माता सावित्री बाई फुले और उनके पति ज्योतिबा फुले ने 1 जनवरी 1848 को महिलाओं के लिए पहला स्कूल खोलकर इतिहास रच दिया। इन्होंने महिलाओं के सामाजिक उत्थान के लिए बहुत से काम किए। उन्होनें महिला सशक्तिकरण, विधवा पुनर्विवाह, महिला शिक्षा पर काफ़ी काम किया।
ज्योतिबा फुले ने समाज के रूढ़िवादी प्रथा को खत्म करने के लिए चुपके चुपके अपनी पत्नि सावित्री बाई फुले को शिक्षित किया और सामाजिक कुप्रथा को मिटाने की पहल की। मौके पर शिक्षक बैजू मेहता, संजय कुमार दास, सोहन कुमार दास, नकुल कुमार दास, समेत संस्थान के बच्चे भी उपस्थित थे।