निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । महाविद्यालय के एनएसएस (राष्ट्र सेवा योजना) इकाई-1 द्वारा गुरुवार को वन महोत्सव बड़े ही उत्साह और पर्यावरणीय चेतना के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. काकोली गोराई ने किया, जबकि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. कौशल की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को और भी विशेष बना दिया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण से की गई, जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और स्टाफ ने मिलकर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत कई पौधे लगाए। यह भावनात्मक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से प्रेरणादायक पहल पूरे कार्यक्रम की मुख्य विशेषता रही। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. कौशल ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा पेड़-पौधे न केवल हमें ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि हमारी पृथ्वी को सुंदर और संतुलित बनाए रखते हैं। हमें अपने जन्मदिन, विवाह दिवस या किसी भी खास अवसर पर एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। यह एक ऐसा तोहफा है, जो आने वाली पीढ़ियों को जीवन देता है।”उन्होंने यह भी विशेष रूप से नीम, पीपल और तुलसी जैसे पौधे लगाने की सलाह दी क्योंकि ये पौधे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं और वातावरण को शुद्ध करते है। इस आयोजन में महाविद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी सक्रिय सहभागिता दिखाई। इनमें प्रमुख रूप से प्रो. नीलम कुजूर, डॉ. शंभूनाथ बंदोपाध्याय, प्रो. रेशम, प्रो. वंदना, डॉ. वीरेंद्र, डॉ. शंकर पांडे, डॉ. सोनत किस्कू, प्रो. अनिकिता सहित कई अन्य शिक्षकों ने अपने हाथों से पौधे लगाए और विद्यार्थियों को वृक्षों के महत्व को लेकर जागरूक किया। कार्यक्रम के अंतर्गत जामताड़ा महाविद्यालय के चाकड़ी कैंपस को विशेष रूप से पौधों से सजाया गया। छात्र-छात्राओं में उत्साह और समर्पण साफ झलक रहा था। कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. काकोली गोराई ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा पेड़ लगाना सिर्फ एक कार्य नहीं, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान हमारी मातृभूमि और जन्मदात्री मां दोनों के प्रति सम्मान प्रकट करने का सुंदर माध्यम है।”जामताड़ा महाविद्यालय द्वारा आयोजित यह वन महोत्सव केवल पौधारोपण का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त संदेश था जीवन, जागरूकता और जिम्मेदारी का। इस तरह के आयोजनों से छात्र-छात्राओं में न केवल पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा मिलती है।

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