निशिकांत मिस्त्री

जामताड़ा । जनजातिय संध्या डिग्री महाविद्यालय मिहिजाम में मंगलवार को हिंदी विभाग के द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया संगोष्ठी आधुनिक हिंदी साहित्य में नारी अस्मिता विषय पर आयोजित हुई थी। अध्यक्षता कालेज प्राचार्य प्रो कृष्ण मोहन शाह ने किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता कॉलेज के पूर्व सहायक प्राध्यापक डॉ उत्तम कुमार सिन्हा ने अपने वक्तव्य में नारी अस्मिता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। कहा कि स्त्री स्वाभिमान को एहसास करने की आवश्यकता है। सभी साहित्य में नारी को सम्मान से देखा गया है ।स्त्री अस्मिता का प्रश्न तब आया है जब हमने पुस्तकों में उन्हें स्थान दिया लेकिन व्यावहारिक जीवन में ऐसा करने में समझौते करते गए। इस पर मंथन करने की आवश्यकता है स्त्री को दोयम दर्जे का क्यों माना गया । ऐसा करने से उसके अस्मिता का प्रश्न प्रश्न खड़ा हुआ है। इस पर मंथन करने की आवश्यकता है। सभ्यता इतना विकसित नहीं हो पाया स्त्री को उसका मोल दे सके। उन्होंने कहा कि इतिहास को देखें चाहे द्रौपदी हो, कुंती हो ,या अहिल्या सभी को अपने होने के लिए प्रणाम प्रमाण पत्र देना पड़ा है। नारी अस्मिता की यह लड़ाई समाप्त नहीं हुई ।यदि आप स्त्री को सम्मान नहीं कर सकते तो काफी पीछे हैं। एक पत्नी के लिए सबसे बड़ी दुखदाई बात यह है तो उसका पति उसे अपेक्षित कर दें। कामायनी में नारी को श्रद्धा रूप में देखा गया । स्त्रियां केवल सुंदरता व श्रृंगार की वस्तु नहीं है वह पुरुष के लिए शक्ति और रोशनी है मौके पर कॉलेज के प्राचार्य ने अध्यक्ष भाषण में नारी अस्मिता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। कॉलेज के छात्राओं द्वारा भी आपने विचार प्रस्तुत किए गए ।मंच संचालन हिंदी के सहायक अध्यापक शबनम खातून ने किया। इस अवसर पर हिंदी विभाग अध्यक्ष जयश्री, नेक कोऑर्डिनेटर डॉ राकेश रंजन, सतीश शर्मा, रंजीत यादव ,शंभू सिंह ,बीपी गुप्ता पूनम कुमारी अमिता सिंह पुष्पा टोप्पो रामप्रकाश दास और किरण बनवाल आदि थे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *