वटवृक्ष के नीचे बैठ सुहागिने घंटों करती रही पूजा अर्चना।
रामावतार स्वर्णकार
इचाक । प्रखंड के विभिन्न गांवों में सुहागिनों ने अपने अखण्ड सुहाग और परिवार में सुख समृद्धि के लिए बट सावित्री की पुजा की। सोमवार को प्रखंड के प्रसिद्ध बुढ़िया माता मंदिर, इचाक, जलौंध, चंदा, करियातपुर, मंगुरा, फुरुका, जमुआरी, देवकुली, लुंदरु, दरिया, खुटरा, डूमरौन, अलौंजा, बोंगा, बरियथ, कारीमाटी, भूसाई, साडम, लोटवा समेत विभिन्न स्थानों पर स्थित वटवृक्ष के पास दिनभर महिलाओं की काफ़ी भीड़ देखी गई। हालांकि कुछ महिलाओं ने रविवार को भी पूजा करती देखी गई। पूजा के लिए महिलाएं दिनभर का निर्जला उपवास रखी।
तत्पश्चात सोलह श्रृंगार कर हाथो मे पूजा सामग्री लिए पूजा स्थल गई। जहां वटवृक्ष की विधिवत पूजा करने के पश्चात बट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधते हुए बृक्ष की परिक्रमा कर अपने अखंड सुहाग का वरदान मांगा। इस दौरान पुरोहितों ने सामूहिक रुप से व्रतियों को सती सावित्री और सत्यवान का कथा भी सुनाया और जीवन मे वट वृक्ष की पूजा के महत्व को बताया। आचार्य सुबोध कुमार पाण्डेय व अजय पाठक ने बताया कि वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को किया जाता है।
सुहागिने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत करती हैं। वट सावित्री का व्रत करवा चौथ के बराबर ही फलदायी होती है। आचार्य के अनुसार इस साल वट सावित्री का व्रत सोमवार है। जो बहुत ही उत्तम मुहूर्त है। वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। यह उपवास ना सिर्फ पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है, बल्कि इससे घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता भी आती है। वट सावित्री का पर्व इस साल बेहद खास है। वट सावित्री के दिन सोमवती अमावस्या और शनि जयंती भी मनाई जा रही है।
इसके अलावा, सुबह के वक्त सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग भी लग है। ऐसे शुभ संयोग में वट सावित्री का व्रत रखना अपने आप में लाभकारी होगा।