अभिषेक मिश्रा

चासनाला । सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल, सिंदरी में आज समाज सुधारक, धर्मनिष्ठा और नारी शिक्षा की पक्षधर लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर जी की 300वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि के साथ हुई। विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन, उनके कार्यों और समाज में दिए गए योगदान पर प्रकाश डाला। विशेष रूप से, बालिका शिक्षा और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उनके प्रयासों को सराहा गया।

विद्यालय के प्रधानाचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा, “देवी अहिल्याबाई होलकर नारी शक्ति की प्रतीक थीं। उन्होंने उस समय में भी नारी शिक्षा और समाजिक समरसता की अलख जगाई, जब महिलाएं पिछड़ेपन की शिकार थीं।”

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. माया राजनारायण राय ने कहा:
“हमारे कॉलेज में छात्राओं की संख्या कम हो सकती है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हर कार्यक्रम में उनकी भागीदारी बराबरी की हो। मैंने खुद अपने जीवन में यह अनुभव किया है कि जहां-जहां मैंने काम किया, वहां एकमात्र महिला सिविल इंजीनियर के रूप में कई चुनौतियों का सामना किया।

इन चुनौतियों ने मुझे कभी डराया नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को बनाए रखते हुए मैं हर मोर्चे पर डटी रही।

हम महिलाएं घर के कामों में भी समय देती हैं — तरह-तरह की डिशेज बनाती हैं, परिवार का ख्याल रखती हैं — लेकिन इतिहास किसी को यह याद नहीं रखता कि उन्होंने कितना पास्ता या कितनी ब्रेड खाई। इतिहास उन लोगों को याद रखता है जिन्होंने समाज को कुछ दिया।

मैडम क्यूरी को, सुधा मूर्ति को या फिर सोफिया जैसी महिलाओं को, लोग उनकी उपलब्धियों के लिए याद रखते हैं, न कि उनकी रसोई के लिए।

इसलिए हमें अपने बच्चों को इस तरह तैयार करना है कि वे चेहरे नहीं, योगदान पहचानें। हमें तय करना है कि हमें क्या अपनाना है और क्या छोड़ना है।

छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं जिनमें कविताएं, भाषण और नृत्य शामिल थे। कार्यक्रम का समापन “कोटिश: नमन” के साथ हुआ, जहां सभी ने उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

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