नई दिल्ली । प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम को आज 100 एपिसोड पूरे हो जाएंगे। हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम को खूब पसंद किया जाता है। इस बार के ऐतिहासिक एपिसोड को यादगार बनाने के लिए देश में जगह-जगह इसकी लाइव स्क्रीनिंग की जाएगी और करोड़ों लोग इसे लाइव सुन सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ”मेरे साथ जुड़ रहे हैं हरियाणा के भाई सुनील जागलान जी। उनका मेरे मन पर प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि हरियाणा में जेंडर रेशा पर काफी चर्चा होती थी। मैंने भी बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था। जब सुनील जी के सेल्फी विद डॉटर कैम्पेन पर नजर पड़ी तो मैंने उसे मन की बात में शामिल किया। सुनील जी आज हमारे साथ जुड़ रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने सुनील जागलान से पूछा, ”अब जब इसकी फिर चर्चा हो रही है तो कैसा लग रहा है? अब आपकी बिटिया कैसी, क्या कर रही है?”

जागलान ने कहा, ”मेरी एक बेटी सातवीं और दूसरी चौथी क्लास में पढ़ रही है। आपकी बड़ी प्रशंसक हैं। उन्होंने आपके लिए थैंक यू प्राइम मिनिस्टर नाम से क्लास में चिट्ठियां भी लिखवाई थीं।”

इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, ”बिटिया को मेरा और मन की बात के श्रोताओं का बहुत सारा आशीर्वाद दीजिए।”

पीएम ने इस दौरान कुछ लोगों से बात भी की। उन्होंने कहा कि मेरे साथ जुड़ रहे हैं हरियाणा के सुनील जगराल जी। जब सुनील जी के सेल्फी विद डॉटर कैंपेन पर मेरी नजर पड़ी तो मुझे काफी अच्छा लगा। देखते ही देखते सेल्फी विद डॉटर वैश्विक ट्रेंड बन गया। इसमें बेटी को प्रमुखता दी गई थी।

पीएम मोदी ने कहा कि जनभाव कोटि-कोटि जनों के साथ मेरे भाव अटूट विश्व का अंग बन गया। हर महीने मैं लोगों के हजारों संदेश पढ़ता हूं। मैं देशवासियों के भावों को महसूस करता हूं। मुझे लगता ही नहीं कि मैं आपसे थोड़ा भी दूर हूं। मेरे लिए मन की बात कार्यक्रम नहीं है। मेरे लिए यह आस्था, पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद लाते हैं। मेरे लिए मन की बात में आपके संदेश प्रसाद की तरह हैं। मेरे लिए मन की बात आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। यह अहम् से वयम् की यात्रा है।

पीएम ने कहा कि जब मैं गुजरात का सीएम था, तब वहां सामान्य लोगों से मिलना जुलना हो ही जाता था। सीएम का कार्यकाल ऐसा ही होता है। लेकिन 2014 में गिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन काफी अलग हैं। दायित्व काफी अलग, स्थितियां-परिस्थितियां काफी अलग, सुरक्षा अलग। पहले कुछ दिन मैं काफी खाली-खाली महसूस करता था। 50 साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन देशवासियों से मेरा संपर्क खत्म हो जाएगा। मैं देशवासियों से कटकर नहीं जी सकता था। मन की बात ने मुझे सामान्य मानवी से जुड़ने का मौका दिया।

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