रामावतार स्वर्णकार
हजारीबाग /इचाक । प्रखंड के मंगुरा गांव निवासी दिनेश्वर राणा को वुडक्राफ्ट (काष्ठकला) के क्षेत्र में महारत हासिल है। इनके हाथों से लकड़ी के ऊपर बनाई गई कलाकृति की खूब चर्चा होती है। अपनी कला के बदौलत दिनेश्वर राणा ने क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इनके हाथों से बने कुर्सी, टेबल, सोफा, पलंग, अलमीरा जैसे फर्नीचर से लेकर लकड़ी की प्रतिमा, फूल, हिरण तोता, बाज जैसे तरह तरह के पशु पक्षी और दरवाजे पर बने देवी देवताओं के चित्र देखकर लोग दांतों तले उंगली दबाने को विवश हो जाते हैं।
यह उनका पुश्तैनी पेशा है। इनके पिता खगेश्वर राणा आज भी फर्नीचर का काम करते हैं। उनकी प्रतिमा की छाप लोकल मार्केट से लेकर बड़े-बड़े शहरों तक में है। दिनेश्वर राणा के अनुसार यदि सरकारी सहायता मिली तो यह जिला से लेकर राज्य स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन और लोगों को प्रशिक्षण दे सकते हैं।
अपने दादा से सीखा हुनर
दिनेश्वर राणा के अनुसार उन्होंने मैट्रिक पास करने के बाद अपने दादा जानकी राणा से यह हुनर सीखा। उन्होंने दिल्ली के ताज ग्रुप, लोकल लतीफ, राष्ट्रपति भवन समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों में आकर्षक फर्नीचर व डिजाइन बनाकर अपनी कला का लोहा मनवाया है। चूंकि दादा पदमा राज परिवार से जुड़े थे, इसलिये उन्होंने राजा के किले में भी कई बड़े व सुंदर राज सिंहासन, दरवाजे, टेबल, पलंग आदि बनाए हैं, जो आज भी मौजूद है।
पीएम और सीएम को भेंट किया लकड़ी का बना स्वनिर्मित कमल
दिनेश्वर राणा भाजपा का चुनाव चिन्ह लकड़ी का कमल फूल बनाकर झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भेंट कर चुके हैं। साथ ही मुख्यमंत्री के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को भी एक कमल का फूल भेजा है। इसके अलावा आजसू सुप्रीमो और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो को भी स्टैंड के साथ केला भेंट किया है। उन्होंने बताया कि हेमंत सरकार को भी तीर धनुष देकर कास्ट कला के प्रति रुझान पैदा करना है। एवं गांव और ब्लॉक स्तर पर आर्टिजन डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट खुलवाना है, ताकि लोग स्वरोजगार से जुड़ सकें।
बलिया और दुबई में भी छोड़ा अपनी कला का छाप
दिनेश्वर राणा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पैतृक गांव बलिया में निर्मित मंदिर के 16 फीट ऊंचे दरवाजे में बारीक कलाकृति बनाई, वही बोडसी आश्रम में माता भुनेश्वरी मंदिर एवं भारत पर्यटन केंद्र में भी अपने कलाकृति दिखा कर सभी को चौंकाया। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के सैनिक फॉर्म दिल्ली समेत औरंगाबाद के देव मंदिर, देव हॉस्पिटल के अलावा रांची में भी अपनी कला से लोगों को हैरान किया। वर्तमान में दिनेश्वर राणा आर्टिजन डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट में ही लोगों को प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं।