रामावतार स्वर्णकार
इचाक । सरकार अपनी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचाने के लाख दावे करती हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। प्रखंड के अति सुदूरवर्ती डाडीघाघर पंचायत के गरडीह गांव का मुस्लिम बहुल टोला धरधरवा में पानी की भयंकर समस्या है। यह समस्या सालों भर बनी रहती है। लगभग चालीस घर की आबादी वाले इस गांव में एक भी कुआं नहीं है। दो चापानल लगे हैं लेकिन दोनों खराब है। हर घर जल नल योजना का लाभ ग्रामीणों को अबतक नहीं मिल पाया है। यहां के लोग पानी के लिए पारंपरिक रूप से गांव से करीब आधा किमी दूर स्थित नाले पर निर्भर रहते हैं जहां दो चट्टानों के बीच से पानी का हल्का हल्का रिसाव होता रहता है। गांव की महिलाएं कटोरी के सहारे पानी छानकर बाल्टी भरती हैं। इस काम में उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है। समस्या गर्मी के दिनों में और बढ़ जाती है जब चट्टान से पानी का रिसाव काफी कम हो जाता है। ऐसे में पानी भरने को लेकर अक्सर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं। गरडीह गांव का धरधरवा टोला प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर है। ग्रामीण रजिया खातून मदीना खातून, शकीला खातून, असगरी खातून जुलैखा खातून समेत अन्य महिलाओं ने बताया कि मेरे गांव में पानी की काफी किल्लत है। हम नाले का गंदा पानी छानकर पीते हैं। और उसी से सारा काम करते हैं। कजिया प्रवीण और अफसाना खातून ने कहा कि नाला से धीरे धीरे पानी बहता है। एक बाल्टी पानी भरने में आधा घंटा समय लग जाता है। अब्दुल कादिर, गुलाम मुस्तफा और नजाम अंसारी ने कहा कि गर्मी के दिनों में पेयजल संकट काफी बढ़ जाता है। नाले का पानी का रिसाव काफी कम हो जाता है। ऐसे में पानी को लेकर अक्सर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं। हमलोगों ने समस्या को लेकर कई बार बीडीओ साहब को आवेदन दिया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
क्या कहते हैं मुखिया
डाडीघाघर पंचायत के मुखिया नंदकिशोर मेहता ने बताया कि धरधरवा टोला चट्टानी एरिया है और अपेक्षाकृत ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए वहां बोरिंग सक्सेस नहीं हो पाता है। हमने अपने प्रयास से एक ज़लमीमार लगाया है जिससे बरसात और ठंड में पानी तो मिलता है लेकिन गर्मी में समस्या बढ़ जाती है। गांव में पाइपलाइन के द्वारा पानी पहुंचाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
क्या कहते हैं बीडीओ
प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार ने बताया कि गांव में पानी की समस्या से वाकिफ हूं। वहां की भौगोलिक संरचना के कारण बोरिंग काम नहीं करता है। दूसरे विकल्प पर विचार किया जा रहा है। चुनाव कार्य संपन्न होने के बाद उसपर गंभीरता से काम किया जाएगा।